लक्ष्य एवं उद्देश्य


पुरावनस्पतिविज्ञान का विज्ञान अवसादी चट्टानों (शैलों) में प्राप्त विगत पादप अवशेष के अध्ययन से है। संस्थान के शिलान्यास समारोह के अवसर पर बोलते हुए प्रो. साहनी ने अत्यंत उत्साह से कहा-

"पुरावनस्पतिविज्ञान वनस्पतिविज्ञान एवं भू-विज्ञान के मध्य एक समान क्षेत्र है - वस्तुतः यह चट्टानों (शिलाओं) की वनस्पतिविज्ञान है".

पुरावानस्पतिक अनुसंधानों के लक्ष्य में पादप एवं पृथ्वी विज्ञान का एकीकरण इस संगठन का मुख्य लक्ष्य है। विविध बृहत सामयिक फलकों अनुप्रयुक्त एवं आधारभूत दोनों] भव्य उपकरणों से मंडित] योग्य विशेषज्ञों के साथ साथ सुसज्जित प्रयोगशालाएं इस संलयन-विज्ञान को यथार्थ आशय प्रदान करती है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोगों के माध्यम से तथा विविध अनुसंधान परियोजनाएं अपेक्षित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु चालू हैं।

  • अपने समस्त वानस्पतिक व भू-वैज्ञानिक फलकों में पुरापरागाणुविज्ञान सहित पुरावनस्पतिविज्ञान विकसित करना।

  • संबद्ध विषयों के साथ पारस्परिक विचार-विमर्श के द्वारा अनवरत रूप से आंकड़े अद्यतित करना।

  • प्रारंभिक जीवन, जीवाश्म ईंधनों का अन्वेषण, वनस्पति गतविज्ञान, जलवायवी प्रतिरूपण, वनों का संरक्षण इत्यादि जैसे पारस्परिक हितों के क्षेत्रों में अन्य ज्ञान केंद्रों से तालमेल रखना।

  • पुरावानस्पतिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थाओं एवं अन्य संगठनों में करना।